घाटकोपर के बिल्डर मुकेश मेहता को मनी लॉन्ड्रिंगI मामले में ईडी ने भेजा समन। घाटकोपर के बिल्डर मुकेश मेहता के बिरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय, ईडी ने केस दर्ज किया है। ईसीआईआरएमबी20-1/09/2021 के तहत इस मामले में आगे की जांच पड़ताल ईडी के अधिकारी कर रहें हैं।
अधिकारीक सूत्रों से पता चला है कि शुरुआत में मुंबई पुलिस की ईओडब्ल्यू ने जालसाजी व धोखाधड़ी के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच पड़ताल सुरु किया सीआर क्रमांक 502/2019 यू/एस. 420, 465, 467, 471, 34 आईपीसी के तहत अंबोली पुलिस स्टेशन में मुकेश मेहता, हिरजी केनिया और अन्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है।
यह मामला ओशिवारा में लगभग 4,273 वर्ग मीटर बेहरामजी जीजीभोय प्राइवेट लिमिटेड से फर्म दलिया इंडस्ट्रियल एस्टेट के रूप में भूखंड सड़क विकास के लिए आरक्षित था, बीएमसी द्वारा इस भूखंड को अधिग्रहित किया गया था। शिकायत कर्ता ने आरोप लगाया कि उनके भाई जितेंद्र मकड़ा ने उनके पिता की मृत्यु के बाद, भागीदारों में से एक के साथ मिलीभगत करके हिरजी केनिया को बनावटी दस्तावेज दिखाएँ कि सभी साझेदार साझेदारी की सेवानिवृत्त हो गये,और उक्त संपत्ति का मालिक जितेंद्र ने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से खुद को घोषित कर दिया। जिसके बाद इन्ही फर्जी दस्तावेजों के सहारे जितेंद्र ने उक्त भूखंड में हिरजी से साथ 50-50 परसेंट की पार्टनरशिप कर लिया।
जितेंद्र, हिरजी और मुकेश मेहता ने एक सुनियोजित साजिश रची। मुकेश मेहता ने फर्जी दस्तावेज और बिल के आधार पर जितेंद्र व हीरजी से उक्त भूखंड खरीद लिया। इस हेरा फेरी का मास्टरमाइंड मुकेश मेहता जमीन हथियाने में कामयाब हो गया
बीएमसी ने उक्त जमीन के बदले टीडीआर एक वनक्विश को बेच दिया था। वनक्विश इन्वेस्टमेंट लीजिंग, ने उक्त जमीन का बाद में कम मूल्यांकन करके मंत्री रियल्टी को बेच दिया गया, 30 करोड़ रुपये का सौदा और अनुमानित बिक्री लागत के गुणक टीडीआर, नकद के रूप में। मेहता द्वारा एक शेल कंपनी को टीडीआर लेनदेन जिसे के रूप में जाना जाता है वनक्विश इन्वेस्टमेंट लीजिंग, और उसके बाद वैंक्विश इन्वेस्टमेंट से मंत्री रियल्टी को लीजिंग 30 करोड़ रुपये और मंत्री रियल्टी को दिखाया गया था कुछ ही दिनों में टीडीआर को हीरानंदानी बिल्डर्स को ऊंची कीमत पर बेच दिया।
पूरे सौदे के बाद से ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया है, वैंक्विश लीजिंग एंड इनवेस्टमेंट टीडीआर की बिक्री शामिल है और उसके बाद मुकेश मेहता द्वारा कागज पर मंत्री रियल्टी का अत्यधिक मूल्यांकन किया गया था। ईडी के सूत्रों ने खुलासा किया है कि मेहता को बड़ी रकम मिली थी मंत्री रियल्टी से नकद जिसे उसने तीसरे पक्ष के माध्यम से मनी लांड्रिंग के रूप में लिया , हिस्सा एक आर.के. को नाजायज पैसा यानी 30 करोड़ रुपये उधार दिए गए थे। कोटा के वर्मा आधारित रेजोनेंस ग्रुप जिसने ब्याज के साथ पैसा लौटाया, कुल मिलाकर मेहता के खातों में बैंक हस्तांतरण द्वारा तीन वर्षों में 70 करोड़ रुपये जमा हुये। अब इन्ही सभी मामलों में गहन पूंछ तांछ हेतु ईडी ने मुकेश मेहता को 15 दिन पहले सम्मन जारी किया है। लेकिन मुकेश मेहता कोविड का बहाना कर ईडी अधिकारियों के सामने पेश होने से अभतक बच रहा है।